1. अबाध दृष्टि से मुक्ति प्राप्त होती है.
2. Through SUPREME, We all are related like pores in the being , sharir. All our relations are additional. Life is additional, additional relationship.
3. मुक्ति के लिए अद्वैतदर्शन परमावश्यक है। सभी द्वैत अद्वैत के अंतर्गत ही हैं।
4. सत्य पर, आधार पर टिकना अनिवार्य है मुक्ति के लिए।
5. जब तक सत्य पता नहीँ चल जाता, मुक्ति नहीँ ।
6. सुख दुख को ही सबकुछ समझना बंधन है।
7. अस्तित्व को जान जाना मुक्ति
8. Zenith of awareness is mukti.
9. Existence is GOD and sensible is being held by GOD For life, sensible is within GOD's awareness.
10. ऐसा वैसा कैसा से आगे न बढ़ पाना बंधन है.
11. अस्तित्व के साथ जीना ही मुक्ति है।
12. समाधान यथार्थ दर्शन से होता है, कुछ को सब कुछ समझने से नहीं।
13. कुछ को सब कुछ समझ लेना ही बंधन है जैसे कर्म बंधन, जीवन बंधन।
14. कर्म को सब कुछ समझ लेना कर्म बंधन है। जीवन को सब कुछ लेना जीवन बंधन है।
15. जीवन से परे जीव है और जीव शिव शक्ति का अंश है।
16. ऐसा वैसा कैसा से आगे न बढ़ पाना बंधन है.
17. अस्तित्व के साथ जीना ही मुक्ति है।
18. समाधान यथार्थ दर्शन से होता है, कुछ को सब कुछ समझने से नहीं।
19. कुछ को सब कुछ समझ लेना ही बंधन है जैसे कर्म बंधन, जीवन बंधन।
20. कर्म को सब कुछ समझ लेना कर्म बंधन है। जीवन को सब कुछ लेना जीवन बंधन है।
21. We live a life limited by wishes. This causes misery.
22. कर्म बूँद है,जीवन बूँद है,
23. बूँद को ही सबकुछ समझ लेना बंधन है ॥
24. भवसागर?
25. Truth cures tension. Sutras are forms of TRUTH.
26. धारक का सदा ध्यान रखने से उद्धार हो जाता है..
27. We waste our life searching for wishes. Search, sense, see, recognise, realise.
28. महापुरुष मतलब मां है पुरुष रूप में।
29. अस्तित्व अनाम है।
30. Sutras are secrets.
31. Money is token.
32. Happiness is not to be searched. Happiness is to be earned.
33. Wishes are to be earned, not searched.
34. भोजन, पानी ,प्राण, ध्यान, Gyan ये जीवन है।
35. सूत्र सत्य के पुत्र हैँ। सूक्ष्म पुत्र।
36.होश का अधूरापन है बंधन।
37. God is visible according to our level of awareness.
38. जीवन कर्म पर आधारित है,और कर्म बहुत गहरा है। कर्मो गति गहन:।Life needs to be learnt.
39. शरीर जीवन के लिए है।
40. स्थिति को, स्थिर को जानना स्थिरता है, जो कमी महसूस हो उसे पूरा कर लेना सुखम, अपने को, अपनी स्थिति को, अपने को शिवशक्ति की गोद में आसीन जान लेना आसनम है। इति स्थिरम सुखम आसनम ।